पटना: बिहार में लगातार पुलों के गिरने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बिहार में पुल ढहने के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने पिछले दो साल के भीतर 12 पुलों के गिरने का हवाला देते हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। छोटे-बड़े सभी पुलों के गिरने की घटना की जांच कराने की मांग की गई है।
दरअसल, बिहार में पुल गिरने का सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ था जब राज्य में महागठबंधन की सरकार थी। नीतीश कुमार पाला बदलकर आरजेडी के साथ आ गए थे। तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम के साथ साथ पथ निर्माण विभाग के मंत्री भी थे। इसी दौरान बिहार में पुल गिरने का पहला मामला सामने आया था। भागलपुर में निर्माणाधीन अगुवानी पुल का एक हिस्सा गिर गया था और पुल के कुछ पाया गंगा में समा गए थे।
इस घटना को लेकर खूब सियासत भी हुई थी। पुल निर्माण कंपनी एसपी सिंगला के ऊपर गंभीर आरोप लगे थे। तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव पर भी सवाल उठे थे। उस वक्त विपक्ष की भूमिका में रही बीजेपी ने खूब हंगामा मचाया था। अगुवानी पुल के बाद बिहार में पुल गिरने का सिलसिला लगातार जारी है। इसके बाद से बिहार में कई पुल गिर चुके हैं। हाल के दिनों में हर दिन पुलों के गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
ऐसे में अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पुलों के गिरने की जांच कराने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने बिहार में पिछले दो साल के भीतर 12 पुलों के गिरने का हवाला देते हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश कोर्ट से देने की मांग की है। छोटे-बड़े सभी पुलों के गिरने की घटना की जांच कराने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू कर सकता है।
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