पटना: बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट भी हाई प्रोफाइल है। मीसा भारती तीसरी बार अपने मुंहबोले चाचा रामकृपाल यादव के सामने मैदान में खड़ी हैं। पहले के दो चुनाव में मीसा भारती को लगातार शिकस्त का सामना करना पड़ा है। वहीं, रामकृपाल यादव 2014 और 2019 की तरह इस बार भी इस सीट को जीतकर हैट्रिक जमाने की तैयारी में हैं।
पाटलिपुत्र में मीसा भारती की बढ़त लगातार बड़ी होती जा रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक यहां पर उन्होंने रामकृपाल यादव के ऊपर 7993 वोटों की बढ़त हासिल कर ली है। पाटलिपुत्र में मीसा भारती अपने चाचा रामकृपाल यादव के सामने लगातार आगे चल रही हैं। बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट भी हाई प्रोफाइल है। यहां पर शुरुआती रुझान सामने आने लगे हैं। इसमें मीसा भारती को बढ़त मिली हुई है। रामकृपाल यादव अभी पीछे हैं।
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर आरजेडी के लिए कभी लड़ाई आसान नहीं रही। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का अस्तित्व साल 2008 में आया है। इस साल हुए परिसीमन के बाद पाटलिपुत्र और पटना साहिब को अलग-अलग सीटों में बांट दिया गया। इस सीट पर पहला चुनाव हुआ साल 2009 में। पहले ही चुनाव में यहां लालू यादव को हार का सामना करना पड़ा और डॉक्टर रंजन प्रसाद यादव को यहां से जीत मिली। 2009 से शुरू हुआ यह सिलसिला साल 2014 और 2019 में भी दोहराया जाता रहा, जब पिता की तरह मीसा भारती को भी हार का सामना करना पड़ा। अगर और पहले जाएं तो इस क्षेत्र में कांग्रेस का खूब दबदबा रहा। तब पाटलिपुत्र पटना लोकसभा क्षेत्र में शामिल थी। 1962 तक कांग्रेस यहां पर लगातार जीतती रही। साल 1967 में सीपीआई के रामअवतार शास्त्री यहां से जीते और कांग्रेस का विजयी रथ रुक गया। तब से रामअवतार शास्त्री तीन बार यहां से जीतते रहे। इसके बाद सीपी ठाकुर ने साल 1984 में यहां कांग्रेस की वापसी कराई और जीत दर्ज की।
हालांकि 1998 और 1999 में वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते थे। 1989 में भाजपा के ही शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव भी जीते थे। फिर एंट्री हुई रामकृपाल यादव की। उन्होंने 1991 और 1996 में जनता दल, 2004 में आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीता था। बाद में पाटलिपुत्र सीट बनने के बाद भी उनकी जीत का सिलसिला जारी रहा।
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