पटना: बिहार में नीतीश कुमार ने जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से गठबंधन तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ मिलकर नई सरकार बनाई तो उपेंद्र कुशवाहा के इसमें शामिल होने को लेकर खूब कयास लगाए गए। हालांकि, उनके समर्थकों को निराशा हाथ लगी थी। उस समय यह भी कहा गया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री भी नाराज हुए और उन्होंने नई सरकार की पहली कैबिनेट विस्तार से खुद को दूर कर लिया था। अब एकबार फिर बिहार में खरमास के बाद नए मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल कराने की चर्चा होने लगी है।
संभावित कैबिनेट विस्तार को लेकर उपेंद्र कुशवाहा से जब सवाल पूछा गया तो उनकी बेताबी का एहसास हुआ। मंगलवार को कुशवाहा ने कहा, ‘मैं लोगों की सेवा के लिए राजनीति में हूं। यही वजह है कि हर कोई सरकार में शामिल होना चाहता है।’ उपेंद्र कुशवाहा के इस जवाब से उनके अरमान सामने निकलर आ रहे हैं। बता दें कि अभी तक आधिकारिक रूप से कैबिनेट विस्तार को लेकर सरकार की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है।
उपेंद्र कुशवाहा नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने पिछले साल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के वजूद को खत्म करते हुए जेडीयू में इसका विलय कर लिया। मिली जानकारी के मुताबिक, ऐसा कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के लिए अपनी हर क्षमता का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन उनका हाल का बयान इस बात की तरफ इशारा करता है कि वह नीतीश कैबिनेट में सिर्फ एक पद की तलाश कर रहे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस भी नीतीश कुमार की सरकार में दो और मंत्री पद के लिए जबाव बना रही है। बता दें कि अभी बिहार में कांग्रेस के दो मंत्री हैं।
उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार कैबिनेट में शामिल होने में एकमात्र बाधा राजद हो सकती है। आरजेडी 79 विधायकों के साथ महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है। बता दें कि विधानसभा में जदयू के 45 विधायक, कांग्रेस के 19, भाकपा माले के 12, हम के चार, भाकपा के दो और माकपा के दो विधायक हैं।
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