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अच्छी खबर! नीतीश सरकार का फैसला, बिहार में अब सभी जिलों में जलवायु के अनुसार होगी खेती

बिहार के आठ जिलों में चल रही ‘जलवायु के अनुसार खेती’ योजना काफी सफल रही। उत्साहित राज्य सरकार ने अब इसे सभी जिलों में लागू करने का फैसला किया है। योजना की जिम्मेदारी लेने वाली संस्थाओं की संख्या भी बढ़ेगी। अभी चार संस्थाओं को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।

नई संस्थाओं में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र और अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र ने योजना से जुड़ने की सहमति दी है। योजना में चयनित खेत में फसल की बुआई बिना जुताई के होती है। पांच साल तक खेतों की जुताई नहीं होनी है। योजना पर अभी पायलट के रूप में काम शुरू हुआ था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवम्बर में लॉन्च किया था। आठ जिलों का चयन इसके लिए हुआ है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के जिम्मे भागलपुर और बांका, राजेन्द्र केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के जिम्मे खगड़िया और मधुबनी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के जिम्मे सिर्फ गया और बोरालोग इंस्टीट्यूट के जिम्मे मुंगेर, नालंदा और नवादा जिले दिये गए हैं। इन संस्थाओं की जिम्मेदारी परम्परागत खेती में विज्ञान का तड़का लगा जलवायु में हो रहे बदलाव की चुनौती स्वीकार करने के लिए किसानों को तैयार करने की है।

365 दिन खेतों में रहेगी फसल, वैज्ञानिक करेंगे फसल का चयन
योजना में यह तय है कि साल के 365 दिन खेत में फसल रहेगी। इसके लिए जोन और मिट्टी की संरचना के अनुसार वैज्ञानिक अपने क्षेत्र के लिए फसल और उसकी किस्म का चयन करेंगे। पांच साल तक चयनित खेतों की जुताई नहीं होगी। रबी में इसकी शुरुआत हुई। 1442 एकड़ में खेती की गई। जिन खेतों का चयन किया गया वहां गेहूं की फसल कट गई और दूसरी फसल लग गई। इसके लिए अभी मूंग का चयन किया गया है। बुआई के लिए तीन तरीके अपनाएं गये। हैप्पी सीडर, जीरो टीलेज और रेज्ड बेड प्लांटिंग की गई। नतीजा यह हुआ कि आंधी में भी फसल कहीं गिरी नहीं।

उत्पादकता भी गेहूं की भागलपुर और बांका में 41.5 से 44.1 क्विंटल रही। दूसरे जिलों में यही स्थिति रही, जबकि सामन्यतया 30 से 35 क्विंटल ही उत्पादकता है।

मौसम में हो रहे बदलाव के अनुसार खेती के पैटर्न को बदलना समय की मांग है। योजना से किसानों की लागत भी घटती है और उत्पादन भी बढ़ता है। सरकार ने इस योजना को राज्यभर में लागू करने के लिए पैसे की व्यवस्था कर दी है। – अनिल झा, संयुक्त कृषि निदेशक

बीएयू से जुड़े जिलों में इस योजना के उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। गेहूं की उत्पादकता बढ़ी है। साथ ही समय से पहले फसल तैयार हो गई। – डॉ. आरके सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक, बीएयू

सात जिलों में नई विधि से गेहूं खेती की उत्पादकता

  • नालंदा : 47 से 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • गया : 42 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • मुंगेर : 42.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • बांका : 42.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • नवादा : 42 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • खगड़िया : 45 से 58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • भागलपुर : 41.5 से 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

source: Hindustan

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